26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस, फिर एक बार भारत की महानता का गुणगान गाया जाएगा। हम सब एक दिन के लिए देशभकत बन जाएंगे और अपनी महानता का परिचय देगें।
आज में भारतीयों यानी मेरी आपकी सबकी "महानता" के बारे में कुछ बात बताती हूँ।
हम भारतीय रास्ते में पान मसाला और तम्बाकू खाके थूकते हैं और कहते हैं कि ये धरती हमारी माता है।
हम वही भारतीय हैं जो बेटी की पढ़ाई से ज्यादा खर्चा बेटी की शादी में करते हैं। बेटी की पढ़ाई के लिए पैसे हो या न हो पर उसकी शादी के लिए पैसे बना ही लेते हैं।

हमें स्कूलों और कालेजों में पढाया जाता है कि हर रोज अखबार पढना चाहिए इससे नोलेज बढता है। अच्छी बात है पढना चाहिए, पर क्या आपको लगता है कि आज के अखबारों में जो खबरें आती है वो पढने लायक होती हैं? अब शांति अखबार पढ़ने से नहीं, अखबार ना पढऩे से मिलती हैं।
26 जनवरी यानी संविधान का दिन। उसी संविधान ने हमें बोलने की आजादी दी थी। (Article 19: Freedom of Speech and Expression) इसके जरिए हमें अपनी बात कहने का और हमारे विचारों को अभिव्यक्त करने की आजादी दी गई हैं। पर कुछ इसका इस्तेमाल कहा करते हैं ? गाली बोलने में । गालीयां देने की आजादी किसने दी हैं?
आज़ादी के ७० साल हो जाने के बावजूद भी हम आज भी धर्म और जाती के नाम पर लड़ रहे है। आज भी महिलाओं को अपने हक़ के लड़ना पड़ता है। हम सिर्फ बहार से मॉडर्न हुए है, पर सोच तो अभी भी वैसी ही है।
हम भारतीय सिर्फ तीन जगह ही अपनी देशभक्ति दिखाते है। १. १५ अगस्त को, २. २६ जनवरी को और ३. इंडियन मैच के वक़्त। यहाँ हमारी देशभक्ति बहुत जोरों से दिखती है। बस बाकी के दिन ये देशभकित कहा चली जाती हैं कुछ समज नहीं आता।
याद है हम स्कूलों में बोला करते थे, "भारत मेरा देश है। सब भारतवासी मेरे भाई-बहन हैं। मैं अपने देश से प्रेम करता हूँ। इसकी समृद्ध एवम् विविध संस्कृति पर मुझे गर्व है........" कहा गई ये हमारी भावना?

सच बात तो ये है की हम सब स्वार्थी हैं। हम सिर्फ अपना ही सोचते है , दुसरो का जो होता है तो होने दो अपनी फायदा कहा है वो हम पहले देखते है। सोचो अगर सारे आर्मी अफसर एक दिन की लिए भी काम करना छोड़ दे तो क्या होगा? सारे गवर्मेन्ट अधिकारी जिन्हे हम बहुत गालियां देते हे की वो कुछ काम नहीं करते, वो सारे चाहे वो बस ड्राइवर हो, डाकिया हो, बैंक अफसर हो, कोई भी हो, काम करना ही बंध कर दे तो क्या होगा? हम नसीबवाले ही हमें सारी सुविधा उपलब्ध है। अब तो टेक्नोलॉजी ने भी काफी तरक्की की है, पर क्या हम उसका सही इस्तेमाल करते है? शायद हम उसके लायक भी नहीं।
मेरा कहना सिर्फ उतना ही है क्युं ना हम साथ मिल कर देश को आगे बढ़ाये। "वसुदेव कुटुंब कमः" की भावना तो सार्थक करे। इतिहास में जिन लोगोने हमारे लिए कुर्बानी दी है , उनकी कुर्बानी व्यर्थ ना होने दे। जो आज देश का सोच कर आगे बढ़ रहे है। उनका सर्मथन करे। आपकी छोटी सी कोशिश भी देश को आगे ले जाने के लिए काफी है। सारा देश हमारा है और हमें ही उसको आगे लेकर जाना है।
में इस ब्लॉग के जरीये वादा करती हू की में मरने से पहले अपने देश को कुछ देकर ही जाऊगी। चाहे वो छोटा ही क्यों न हो।
हम भारतीय सिर्फ तीन जगह ही अपनी देशभक्ति दिखाते है। १. १५ अगस्त को, २. २६ जनवरी को और ३. इंडियन मैच के वक़्त। यहाँ हमारी देशभक्ति बहुत जोरों से दिखती है। बस बाकी के दिन ये देशभकित कहा चली जाती हैं कुछ समज नहीं आता।
याद है हम स्कूलों में बोला करते थे, "भारत मेरा देश है। सब भारतवासी मेरे भाई-बहन हैं। मैं अपने देश से प्रेम करता हूँ। इसकी समृद्ध एवम् विविध संस्कृति पर मुझे गर्व है........" कहा गई ये हमारी भावना?

सच बात तो ये है की हम सब स्वार्थी हैं। हम सिर्फ अपना ही सोचते है , दुसरो का जो होता है तो होने दो अपनी फायदा कहा है वो हम पहले देखते है। सोचो अगर सारे आर्मी अफसर एक दिन की लिए भी काम करना छोड़ दे तो क्या होगा? सारे गवर्मेन्ट अधिकारी जिन्हे हम बहुत गालियां देते हे की वो कुछ काम नहीं करते, वो सारे चाहे वो बस ड्राइवर हो, डाकिया हो, बैंक अफसर हो, कोई भी हो, काम करना ही बंध कर दे तो क्या होगा? हम नसीबवाले ही हमें सारी सुविधा उपलब्ध है। अब तो टेक्नोलॉजी ने भी काफी तरक्की की है, पर क्या हम उसका सही इस्तेमाल करते है? शायद हम उसके लायक भी नहीं।
मेरा कहना सिर्फ उतना ही है क्युं ना हम साथ मिल कर देश को आगे बढ़ाये। "वसुदेव कुटुंब कमः" की भावना तो सार्थक करे। इतिहास में जिन लोगोने हमारे लिए कुर्बानी दी है , उनकी कुर्बानी व्यर्थ ना होने दे। जो आज देश का सोच कर आगे बढ़ रहे है। उनका सर्मथन करे। आपकी छोटी सी कोशिश भी देश को आगे ले जाने के लिए काफी है। सारा देश हमारा है और हमें ही उसको आगे लेकर जाना है।
में इस ब्लॉग के जरीये वादा करती हू की में मरने से पहले अपने देश को कुछ देकर ही जाऊगी। चाहे वो छोटा ही क्यों न हो।
जय हिंद।
वंदेमातरम्।